यहाँ आप प्राकृतिक तरीके से प्राकृतिक गर्भधारण (नेचुरल प्रेगनेंसी) के तरीके सीखेंगे।
महिलाओं के जीवन में गर्भधारण एक महत्वपूर्ण चरण है, जो कि यूँ तो शारीरिक रूप से कष्टप्रद है लेकिन मानसिक और हार्दिक रूप से शायद उनके जीवन की श्रेष्ठतम और सुखद अनुभूति। अगर हम नेचुरल प्रेगनेंसी के रूकावट के कारणों पर गौर करें तो पाएंगे कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन महिला और पुरुष दोनों में ही संभव है। सामाजिक भ्रान्ति के उलट ये कतई एक लिंग विशेष समस्या नहीं है और आंकड़ों के मुताबिक इनफर्टिलिटी के मामलों में 35-40 प्रतिशत मामले पुरुष बाँझपन (Male Infertility) के हैं।
इनफर्टिलिटी: जानकारी और प्राकृतिक समाधान
कई मर्तबा कुछ बहुत ही छोटी-छोटी लापरवाहियां एक बड़ा मकसद पूरा कर पाने से हमें वंचित कर देती हैं और ये जीवन के लगभग हर क्षेत्र के लिए सत्य है। इसलिये ये बहुत ज़रूरी है के संतानविहीनता के मुद्दे को भी गंभीरता से ले और उचित जीवनशैली का निर्वाह करें। यह नेचुरल प्रेगनेंसी के लिये महत्वपूर्ण है।
इस लेख के माध्यम से हम आपके पास कुछ ऐसे ही सुझाव लेकर आए हैं जिनका पालन करने के बाद आपकी नेचुरल प्रेग्नेन्सी की सम्भावना काफी हद तक बढ़ जाती हैं। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए दवाओं से आगे भी कुछ ऐसे अपारंपरिक उपाय हैं जिनका असर हम सीधे तौर पर शायद न देख पाएं परन्तु सूक्ष्म और मनोवैज्ञानिक स्तर पर ये उपाय बहुत कारगर हैं।
आइये जानते हैं उन सुझावों के बारे में-
1. सही जानकारी तथा चिकित्सा परामर्श
हमारे समाज में बाँझपन को स्त्री की कमी से ही जोड़ के देखा जाता है इसलिए सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करें कि बाँझपन का कारण पुरुष है या स्त्री! सही इलाज की दिशा में किया गया ये पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
झोलाछाप डॉक्टर और हकीम/बाबा से सावधान रहें। वह सिर्फ आपसे पैसे ठगेंगे और बदले में आपकी समस्या को और भी बुरी स्थिति में पहुंचा देंगे। चंद पैसे बचाने के लिए अपना मातृत्व खतरे में कतई न डालें।
अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल या किसी लाइसेंस प्राप्त डॉक्टर के पास ही परामर्श के लिए जायें ताकि वो आपकी समस्या जानकर उसका निदान कर सकें।नि:सन्तान दंपति कभी भी कृत्रिम गर्भाधान (IVF) के ज़रिये संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं।
2. आयुर्वेद और नेचुरल प्रेगनेंसी
पिछले कुछ वर्षों में जड़ी-बूटी तथामंत्रों पर आधारित इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति ने कई असाध्य रोगों को ठीक करने का कारनामा कर दिखाया है और बाँझपन भी इसके प्रभाव क्षेत्र में ही निहित है। अब भारत सरकार द्वारा भी यह पद्धति मान्य है। प्राकृतिक होने के कारण यह साइड-इफ़ेक्ट से मुक्त है। कई बार ऐसा भी देखा गया है की किशोरावस्था की कुछ छोटी समस्याएँ बाद में चलकर मातृत्व सुख से महिलाओं को वंचित कर देती हैं लेकिन डॉ. स्वाती के मुताबिक‘आयुर्वेद के मदद से महिलाएं खुद को इस स्थिति तक पहुँचने से रोक सकती है।‘
3. वैदिक मन्त्र
इसी कड़ी में आता है सनातन गोपाल मंत्र। यह मंत्र आपके आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है और गर्भाधान के लिए अनुकूलवातावरण और संतुलन बनाता है। मंत्र इस प्रकार है:
देवकीसुतमगोविंदमवासुदेवमजगतपतिम
देहिम-तनयंकृष्णम-त्वा-मह्यमशरनान्गत
एक लाख पाठों के बाद यह मंत्र पूर्णतया सिद्ध हो जाता है। यदि आप इसे 1 लाख बार नहीं भीपढ़ सकतेतो सुबह स्नान के बाद प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार इसे पढ़ना शुरू करें।
4. वास्तुविज्ञान
वास्तु दिशा, वस्तु, व्यक्ति तथा स्थिति के सामंजस्य पर कार्य करता है। इस विज्ञान के अनुसार आपका स्थान सकारात्मक ऊर्जा से भरा होना चाहिए जिससे आपके कार्य बिना किसी अड़चन के पूरे हो जायें। विशेषज्ञ श्रीमती ‘पुनीत शर्मा’ के अनुसार “सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद बाँझपन का दंश झेल रहे दंपतियों के लिए वास्तु सहायक सिद्ध हो सकता है।“
इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे विवाहित दंपति को किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचना चाहिए, खासकर सोने के स्थान का उन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं-
यदि आपके पास दक्षिण-पूर्वी दिशा में बेडरूम है तो इसे तुरंत दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में बदलें। कमरे की बीम के नीचे न सोयें तथा प्रयास करें कि आप अपने सिर को हमेशा दक्षिण दिशा की ओर ही रखें।
अपने बेडरूम में ‘मुस्कुराते हुए बच्चों’ के साथ ‘लाफिंग बुद्धा’ के पोस्टर आप उस स्थान पर लगायें जहाँ पर लेटते और उठते वक़्त आपकी नज़र सर्वाधिक पड़े। लड़की, हिंसक और रोते जंगली जानवरों की पेंटिंग रखने से बचें।
अपने मुख्य प्रवेश द्वार को नियमित रूप से साफ करें तथा उसे अवरोध मुक्त रखें।
मुख्य शयनकक्ष का स्थान सदैव दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, ये दिशा जीवन में रोमांस को बढ़ावा देने वाली है। शयनकक्ष में हल्के रंगों का ही प्रयोग करें तथा किसी भी प्रकार का जल-संग्रह न होने दें।
5. ऊर्जा विज्ञान (हीलिंग क्रिस्टल)
गुलाब क्वार्ट्ज (Rose Quartz) प्रेम का पत्थर भी माना जाता है तथा मनोवैज्ञानिक मुद्दों (ज्ञात तथा अस्पष्ट बांझपन) को हल करने के लिए बहुत ही कारगर है।
यह भय, असंतोष और क्रोध को हटा देता है तथा आशावाद और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है जो कि गर्भधारण की आस लगाए जोड़ों के लिए अत्यधिक ज़रूरी है।
यह अनोखा चिकित्सा क्रिस्टल, भावनात्मक और मानसिक अवसादों को ठीक करके प्रजनन क्षमता से जूझ रहे जोड़ों की मदद करता है।
हालाँकि ये भी उतना ही सच है कि ये सारे विज्ञान बहुत सारे लोगों द्वारा आज भी अस्वीकृत है क्योंकि वो इन धारणाओं को तर्कसंगत नहीं पाते हैं। ये एक बहस का मुद्दा है जो की इस लेख का प्रयोजन बिलकुल भी नहीं है।
6. उचित खान-पान
अगर आप इनफर्टिलिटी की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने भोजन को संतुलित करना बहुत ही ज़रूरी है।
अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा आर्गेनिक भोज्य पदार्थों को शामिल करें क्यूँकि ‘कीट नाशक (pesticides) युक्त भोजन’ में कई ऐसे तत्व होते हैं जो आपको संतान सुख से वंचित कर सकते हैं।
महिलाएं ये सुनिश्चित करें कि वो हरी सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं तथा उनका भोजन विटामिन E, विटामिन C तथा फोलेट से भरपूर हो। ये सभी तत्त्व गर्भाधान हेतु अत्यंत लाभकारी हैं।
महिलाएं ओमेगा (Omega-3s) युक्त भोज्य पदार्थ का सेवन अवश्य करें क्यूँकि ये तत्त्व गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है। इसके मुख्य स्रोत मछली तथा अखरोट हैं।
समस्या से जूझ रहे दंपतियों को शराब, अधिक मांस, नशीले पदार्थ, प्रोसेस्डफ़ूड तथा अधिक कैफ़ीन युक्त पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
7. संतुलित जीवनशैली
एक स्वस्थ शरीर ही एक स्वस्थ शिशु की रचना की नीँव है अतः अपने शरीर की अनदेखी बिलकुल भी न करें।
इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे दंपतियों को चाहिये कि रोज़ कम से कम एक घंटा हल्का व्यायाम करें, खासकर महिलायें।
महिलाएं दिन भर में कम से कम ६-८ घंटे की नींद अवश्य लें।
दिमाग को तनाव मुक्त रखें और खुश रहने का प्रयास करें। नकारात्मकता आपको सफल नेचुरल प्रेग्नेन्सी परिणामों से दूर कर सकती है।
8. नेचुरोपैथी: प्रकृति का स्पर्श
हमारी रोज़मर्रा की आदतों में ही कई बार बड़ी-बड़ी बीमारियों के राज़ छुपे होते हैं, उदाहरण के तौर पर धूम्रपान कैसर कारक होने के साथ ही पुरुषों में शुक्राणु संख्या को तेज़ी से प्रभावित करता है और कुछ समय बाद नतीजा प्रजनन अक्षमता के रूप में सामने आता है।
इसी तरह की और कई समस्याओं के निवारण के लिए नेचुरोपैथी का सहारा लिया जाता है जिसमें प्राकृतिक तरीकों से जीवनशैली को व्यवस्थित करके बिना किसी दवा के हीबाँझपन जैसे बहुत से पुराने रोगों कोसाधा जाता है। शुक्राणु से लेकर स्त्री हार्मोंस सुधारने तक ये पद्धति हर जगह लाभकारी पाई गयी है।
9. नेचुरल प्रेगनेंसी में एक्यूपंक्चर की भूमिका
एक्यूपंक्चर पद्धति अमूमन नाड़ी से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए जानी जाती है लेकिन विशेषज्ञ मल्लिका के अनुसार, “एक्यूपंक्चर नेचुरल प्रेगनेंसी की सम्भावनाओं को बढ़ाने का भी एक बहुत कारगर तरीका है।“
एक पुरानी चायनीज पद्धति के अनुसार, लीवर तथा कुछ विशेष हिस्से पुरुष की सम्भोग क्षमता को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। अतः स्थान विशेष पर एक्यूपंक्चर का प्रयोग करने से स्पर्म काउंट, क्षमता और वीर्य की गुणवत्ता में इजाफा होता है।
आईवीएफ डॉक्टर एक्यूपंक्चर की सिफारिश करते हैं और कुछ क्लिनिक खुद भी एक्यूपंक्चर सेवा प्रदान करते हैं। हालांकि कोई आंकड़ा नहीं है पर 10-15% मामलों में एक्यूपंक्चर सिटिंग के दौरान बेहतर परिणाम देखे गए हैं।
10. फर्टिलिटी योग
अधिक वज़न वाली महिलाओं में हार्मोन असंतुलन आम बात है और कई स्त्रियाँ इसी असंतुलन के चलते नेचुरल प्रेगनेंसी से वंचित रह जाती हैं। बल्कि पुरुषों में अधिक वजन होने पर सीधे शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब होती है। योग स्रावी ग्रंथियों के कार्य में सुधार करके अपनी प्रजनन प्रणाली को विशेष रूप से समर्थन और पोषण करता है। अतः एक सुचारु शरीर (जिसमें प्रजनन तंत्र भी शामिल है) के लिए फर्टिलिटी योग बहुत फायदेमंद है।
बांझपन का इलाज है लेकिन आपको विश्वास के साथ सिर्फ सही जगहों पर ध्यान देने का संकल्प करना होगा।
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